कुछ और भी है राज खद-ओ-खाल से परे....
औरत को उसके जिस्म के आगे भी देखिये....
कल मैंने अपनी सबसे पसंदीदा लेखिका तस्लीमा नसरीन की एक और किताब पड़ी,उसे पढ़कर मुझे समझ आया की आखिर क्यों बंगलादेश जैसे पुरुषप्रधान देश में उनकी रचनाओं पर प्रतिबन्ध था।शायद इसलिए क्योंकि उनके लेखन में वहाँ के पुरुष की सारी काली करतूतें नज़र आती है इसलिए की वहाँ के पुरुषों को अपना नंगा सच देखना कतई बर्दाश नहीं था। भारत में भी उनके लेखन को काफी लोग पसंद नहीं करते वजह? क्योंकि उनके वाक्य सिर्फ एक देश से सम्बन्धित पुरुषों के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के अधिकांश पुरुषों पर लागू हैं।
उफ़! कितना कड़वा लिखती है ये औरत लेकिन सही लिखती है। सच ही तो है दुनिया जहान में घूम कर कई लड़कियों से संबन्ध स्थापित करके पुरुष कहता है कि उसे कुंवारी लड़की ही चाहिए शादी के लिए। क्यों भाई! तुम अगर शादी से पहले इतनी लड़कियों से घनिष्ठ हो सकते हो और उससे तुम्हारी शुचिता पर कोई आंच नहीं तो भला अगर लड़की किसी के साथ वक्त बिताती है तो वो अपवित्र कैसे? वो चरित्रहीन कैसे? अभी हाल ही में मैंने दैनिक भास्कर की एक न्यूज़ पढ़ी थी बाकायदा विडिओ भी देखा था हालांकि क्लिप धुंधली थी लेकिन उसमें समाज का दोगला चेहरा साफ दिख रहा था। एक विवाहित व 4 बच्चों की माँ अपने पुराने प्रेमी के साथ live-in में रहने चली गई जब उसके पति को पता चला तो पूरा गाँव समाज ले कर वो प्रेमी के घर जा पंहुचा और हैवानियत की सारी हदें पार करता हुआ पहले उसने अपनी पत्नी को बेतहाशा पीटा, उसके कपड़े फाडे इससे भी मन नहीं भरा तो उसके बाल मुडवा कर उसे चप्पल की माला पहनाई गई। उफ़ स्त्री के प्यार करने की ये सजा तय की गई है हमारे समाज ने। लेकिन अगर इसी जगह कोई पुरुष होता तो...?
उसके साथ ऐसा कुछ नहीं होता क्योंकि पुरुष तो बेचारे होते ही चंचल स्वभाव के हैं अब वे क्या कर ले जो फूल सी नाजुक कली उनके आगे से गुजर जाए तो उन्हें तो भंवरा बनाना ही पड़ेगा ना ,वरना फिर हम स्त्रीयों का उद्धार कैसे होगा। पुरुष अगर 8 बच्चों का बाप भी है तब भी वो किसी के साथ रह सकता है तो सोचने की बात ये है की फिर औरत 4 बच्चों की माँ होकर किसी की तरफ क्यों नहीं आकर्षित हो सकती? क्या वो इंसान नहीं है या उसके पास दिल नहीं है ?भावनांए नहीं हैं कि हार्मोन्स नहीं है? है सब है उनके पास तो ये अधिकार भी होना चाहिए कि उसके शरीर पर उसकी मर्जी हो ना कि किसी पुरुष की।
मैं सोच रही हूँ की अगर पुरुष का भी वर्जिनिटी टेस्ट होता तो 100 में से कितने पुरुष वर्जिन निकलते ? ओह्...क्या निकल गया मेरे मुँह से पुरुष जैसे पवित्र जीव का वर्जिनिटी टेस्ट...! राम..राम ..राम !अरे पुरुष के स्पर्श मात्र से कुलटा स्त्रियां भी सती हो जाती हैं और मैं ऐसे महान पुरुष के विषय में ऐसी बात बोल गई। ऐसे पुरुष जो चाहे तो सैकड़ो स्त्रियों को बस एक बार आलिंगन से ही पवित्र कर दे । लेकिन फिर से मेरे मन में ये सवाल आया की अपवित्र स्त्री से सम्बन्ध स्थापित करके पुरुष अपवित्र नहीं हो जाता है ?
नहीं होता क्योंकि पवित्रता अपवित्रता हम जैसी तुच्छ औरतों के लिए है पुरुष तो इन सब से परे है। अगर वो विवाहेतर सम्बन्ध भी बनाता है तो वो अपवित्र नहीं होता लेकिन अगर स्त्री विवाह के पश्चात् किसी अन्य पुरुष से हँस कर बात भी कर ले तो वो चरित्रहीन , बदचलन यहाँ तक की वैश्या भी हो जाती है ।
खैर मैं भी कहाँ की बात कहाँ ले आई मैं तो दो स्त्रियों के खत की बात कर रही थी।जो कि एक काफी गहन मुद्दे के साथ लिखा गया है और ये उपन्यास वो स्त्रियां पढ़ सकती है जिनके पास वक्त हो वो पुरुष पढ़ सकतें हैं जिनमें हिम्मत हो अपनी कमियां स्वीकारने की। मैं नहीं कहती की सारे पुरुष एक जैसे होते हैं लेकिन हाँ अधिकतर एक जैसे होते हैं इस मामले में तो जरूर। ये मैं किसी पुरुष विरोधी सोच से ग्रसित होकर नहीं कह रही बल्कि आंकड़ों का अनालिसिस और लगभग पचासो केस स्टडी कर के कह रही हूँ।
यह नॉवेल स्त्री मन को राहत और हिम्मत देने का काम बखूबी करता है। जमुना जो कि आत्मसम्मान के लिए पति साबिर को छोड़ देती है और प्रेमी हुमायूं के साथ शादी करती है वहाँ से भी चोट मिलने पर पाशा के पास प्यार ढूंढ़ने जाना ....इस पूरे क्रम में आपको जमुना कहीं गलत नहीं नज़र आती हाँ लेकिन आपकी सोच पुराने ज़माने के पुराने बक्से में कैद किसी बेहूदी सड़ी और गन्दी मानसिकता की नहीं होनी चाहिए।
पिछली रात मकान मालिक की बीवी आयी थी बोली - आपके साहब तो कहते हैं ये बच्चा उनका नहीं है।
मैंने सर उठाकर जवाब दिया " बच्चा मेरा है, चुंकि यह मेरा है यही बात उसे पसंद नहीं आयी रुबी आपा। बात ऐसी है कि औरत को कतई हक़ नहीं है कि वह कुछ भी किसी चीज़ को अपना कहे।
अब लोग बुरी-बुरी बातें कहेंगे ?लोग तो हमेशा से ही बुरी बातें करते हैं लोगों की बातों से क्या फर्क पड़ता हैं भला बता? औरत घर के बाहर कदम रखती है तो लोग उसे भला बुरा कहते है अब लोगों के डर से औरत क्या घर से निकलना छोड़ देगी ?
कुछ ऐसी ही सच्चाइयों से भरे हुए है दो स्त्रियों के खत । डिअर पुरुषों! अगर पढ़ सकना उन्हें तो पढ़ना ताकि किसी औरत के दामन पर ऊँगली उठाने से पहले अपने चरित्र पर पूते हुए दाग तुम्हें जरूर दिखाई दे।
2 Comments
Behtareen
ReplyDeleteKathor but satya
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